अदम
इतना मैं घर में तुम्हारे अहम हूँ ।
ये तो नहीं की शिकार-ऐ-वहम हूँ ।
जब भी सुना बस मेरा जिक्र था ।
जिक्र ही से बन गया मैं अदम हूँ ।
ओ! मेरे मिलते ही खुश होने वाले ।
(क्या) मिलके भी अब मैं करता सितम हूँ।
नज़र अब भी तलाशती तेरी किसको।
जुल्म सहने को क्या मैं एक कम हूँ।
उठाई जो नज़रें चलाये हैं खंज़र ।
'हिंदुस्तान' मैं तो हुआ यूँ कलम हूँ।
(अदम=जो नहीं था)
गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'
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